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2.01.2017

"जब हम सरस्वती देवी की डिग्री नहीं जानते, तो नरेंद्र मोदी के 'अंकपत्र' के पीछे क्यों पड़े हैं ?"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     01 February     फेसबुक डायरी     No comments   

"जब हम सरस्वती देवी की डिग्री नहीं जानते, तो नरेंद्र मोदी के 'अंकपत्र' के पीछे क्यों पड़े हैं ?"




आज वसंत पंचमी है । विद्या की देवी के रूप में माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना आज के दिन ही होती है । सभी सनातन धर्मावलम्बी इस माँ की आराधना तन-मन-धन से करते हैं ।
परंतु यह कोई नहीं पूछते कि विद्यादेवी की डिग्री क्या है, चूँकि कक्षा-1 से 5 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए भी योग्यता 'इंटरमीडिएट' होती है । अगर हम सुपर वक्ता प्रधानमन्त्री श्रीमान् नरेंद्र मोदी के B.A. के मार्कशीट देखने के असफल प्रयास कर रहे हैं, तो निश्चितश: कोई यह भी माँग कर बैठेगा कि करोड़ों लोगों के इस आराध्यदेवी 'सरस्वती' की डिग्री क्या है ?
बचपन से हमें सिखाया जाता है कि कभी मन में कोई सवाल उमड़े, तो अपने शिक्षकों से पूछ लो, परन्तु शिक्षक भी डिग्रीधारी हो, तब न ! कहे तो 10 वीं को पढ़ाने के लिए 'इंटरमीडिएट' पास शिक्षक, इंटरमीडिएट विद्यार्थी को पढ़ाने के लिए 'स्नातक पास शिक्षक' आदि-आदि ! हमें यह भी बताया जाता है, झूठ मत बोलो, गलत काम मत करो, पर हम यही करते हैं, क्योंकि मानव-मात्र की प्रवृत्ति ही ऐसी है, किन्तु उनकी प्रकृति ऐसी नहीं हो सकती !
भारतीय परंपरा ऐसी है कि हर देवियों को यहाँ माँ का दर्जा प्राप्त है, इन्ही देवियों में पुस्तकधारिणी माता सरस्वती भी है ? शास्त्रों में इन्हें विद्या की देवी, वाचन-प्रवचन की देवी व वाग्देवी कहा गया है !
देश में हर तरफ डिग्री-वाला जुमला खूब चल रहा है, कभी मोदी साहब के डिग्री (B.A. उत्तीर्ण) पर, कभी स्मृति ईरानी साहिबा पर (B.A.अध्ययन), तो कभी केजरी जी (Tata कोटे से दान के B.Tech.) को लेकर ! यह तो बानगी भर है, फेमस नाम के कारण । पर क्या बिना डिग्री के इस दुनिया में ज़रा भी चल सकते हैं आप !
माँ-पिता जहाँ अपने बच्चे को बचपन से ही बढ़िया स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में डिग्री के लिए भेजते हैं । यदि डिग्री में भी अच्छा डिवीज़न न हो, तो घर पर ताने के साथ पड़ोसी का बचवा का अच्छा रिजल्ट के बीच तारतम्यता का लार भिंगोकर साथ में बाहर वालों का ताने को फ्री दिलाते हैं !
जब हम चारों तरफ से डिग्री से घिरे हैं, तो फिर जिस माता को हम ज्ञान की देवी कहते हैं, उनके पास प्राथमिक कक्षा के लिए भी minimum degree इंटरमीडिएट होनी चाहिए, नहीं तो 10 वीं पास व मैट्रिक की डिग्री तो होनी ही चाहिए !
समय बदल रहा है - परंपरा बदल रही है , माँ सरस्वती की सजावट का तरीका भी बदल रहा है । लोग DJ के साथ उन्हें बुलाते हैं और DJ की धुन पर ही ट्रेक्टर पर उन्हें बिठा कर 'विसर्जित' करते हैं । विसर्जन के समय तो माँ सरस्वती DJ की धुन पर आज सभी बच्चे को सरेआम नचा रहे हैं ! क्या ऐसी शिक्षा ही 'हे माँ' आप बच्चों को दे रही हैं ?
सभ्यता की शुरुआत से ही 'कल्पनाशक्ति' के माध्यम से देवी-देवताओं का रूप हमारे कुम्हार अपने हाथ-माटी के माध्यम से मूर्तियों में रूप, यौवन आदि देते हैं, सिर्फ जीवन नहीं दे पाते हैं । पर हम उस शिल्पकार (कुम्हार) की पूजा नहीं करेंगे, जिनके बनाये आकृति से माटी में भी जान आ जाती है । हम पूजेगें तो उस मूर्ति को ही, पर कुम्हार को नहीं, चाहे वो कुम्हार डबल, ट्रिपल या 7 विषयों में M.A. डिग्री ही क्यों न लिया हो या क्यों न B.Tech, MBA, M.Ed. की डिग्री ग्रहण की हो ?
पर हम तो पूजेंगे, उसी को जिनके पास कोई औपचारिक डिग्री नहीं है और फिर हम जब बिना मार्क-शीट वाले को ही पूजना है तो फिर माननीय नरेन्द्र मोदी या स्मृति ईरानी जैसे पूज्य वक्ता के पीछे हम क्यों पड़ गए हैं ?



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