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1.23.2017

'आमार सोनार बोसे'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     23 January     कविता     1 comment   

समय के साथ यादें भी बिसरती चली जाती है और गुमनामी के अँधेरे में ग़ुम होते चले जाते हैं ! इसी भाँति स्वतंत्रता-सेनानियों, देशभक्तों को लोग भूलते चले जा रहे हैं,पर जीवित किंवदंती श्रीमान् सुभाष चंद्र बोस ऐसे टैलेंटेड क्रन्तिकारी रहे हैं, जो अब भी भारतीय जनमानस में गहरी पैठ जमा बैठे हैं , क्योंकि क्रांतिकारी कभी मरते नहीं हैं और वैसे भी वे 'बोस' तो रहे ही, सच्चे अर्थों में नेताजी कहलाये । भारतीय ज़िन्दजियों  के बोस के बारे में यह कहावत चरितार्थ हो सकती हैं कि BOSE IS ALWAYS RIGHT ! आज मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट लेकर आई है , सुन्दर कवयित्री प्रियंका राय ॐनंदिनी की कविता 'हाँ ! मैं सुभाष हूँ ' --- हाँ , वही सुभाष जिनकी आज जयंती है, वही सुभाष जिन्होंने 1937 में 'लिव इन रिलेशनशिप' में रहा और भारतीय जनता को 1993 में ही पता चला , क्योंकि उनकी दुल्हन तो 'स्वतंत्रता' थी ! किन्तु जिसतरह से गुमनामी बाबा को देखकर नेताजी सुभाष होने के कयास बुने जाने लगे, उस अद्भुत सुभाष पर आज  एक रहस्य कविता पढ़ते हैं । आइये. हम भी लुत्फ़ उठाये :-



'हाँ, मैं सुभाष हूँ'




तुम्हारी चेतना तुम्हारा विश्वास हूँ
हाँ मैं सुभाष हूँ , हाँ मैं सुभाष हूँ
तुमसे दूर होकर भी तुम्हारे पास हूँ
हाँ मैं सुभाष हूँ , हाँ मैं सुभाष हूँ ।

माँ भारती की चरणधूल मैं
तिरंगे में लिपटा हुआ फूल मैं
युवाओं का वेग , मैं संतो का संन्यास हूँ
हाँ मैं सुभाष हूँ , हाँ मैं सुभाष हूँ ।

ना हीं मैं मरा हूँ,ना हीं मैं मरूँगा
तुम्हारे लहू में मैं मिलकर लड़ूंगा
मैं धरती का धैर्य बुलंदियों का आकाश हूँ
हाँ मैं सुभाष हूँ , हाँ मैं सुभाष हूँ ।

मैं कितना अकेला यहाँ हो गया
दबी फाइलों में कहीं खो गया
धन्यवाद मेरे बच्चों,तुम्हें आज भी आभास हूँ
हाँ मैं सुभाष हूँ , हाँ मैं सुभाष हूँ ।


नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email-messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

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1 comment:

  1. RAJNIJuly 07, 2018

    बहुत सुंदर रचना
    प्रियंका बधाई तुम्हे
    जय हिंद

    ReplyDelete
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