MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

12.20.2016

'मन की बात' पर मेरी 'मन की बात'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     20 December     मन की बात     1 comment   




नमस्ते PM अंकल ,

मासिक प्रसारण 'मन की बात' के माध्यम से मेरा भी 'मन की बात' सुनिए तो ज़रा ! मेरी यह सलाह है कि 'महिला आयोग' की तरह क्यों न 'पुरुष आयोग' का भी गठन

किया जाय, क्योंकि पुरुषों पर भी लगभग आधी आबादी यानी  महिलाओं द्वारा अत्यधिक प्रताड़नायें देखी जा रही हैं । मेरे गांव में भी कुछ सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं, उन्हें कुछ महिलाओं ने निजी खुन्नस अथवा भड़ास या जमीन-जायदाद के झगड़े के बनिस्पत झूठे 'एटेम्पट टू रेप' केस में फंसा रखी हैं, तो कई पुरुष को कोर्ट ने बरी किया है । ऐसे में उन पुरुषों के सम्मान में लगे ठेस को कौन वापस करेंगे ! ऐसी घटना न केवल मेरे गाँव की, बल्कि लगभग गाँव-जँवारों की हैं , तो क्यों न  'महिला आयोग' की तर्ज पर 'पुरुष आयोग' भी बने, ताकि 'धर्मनिरपेक्ष' देश पुरुषप्रधानता के आरोप से मुक्त हो 'लैंगिकनिरपेक्ष' भी कहा जा सके ।
सादर ।
  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

1 comment:

  1. rambandhu vatsJanuary 10, 2017

    आपकी बात जायज़ है । मैने कुछ पुरुषों को बर्बाद होते देखा है, कई घरों को बिखरते देखा है । हाँलाकि षुरुष शोषण के मुकाबले महिला शोषण के उदाहरण ज्यादा है । फिर भी, पुरुष शोषण के शकार होते है । कुछ ऐसे केन्द्रों की स्थापना भी हुई है जो शोषित पुरुषो के लिए काम करती हैं ।

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
Add comment
Load more...

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
  • 'कोरों के काजल में...'
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART