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3.25.2015

'बयान 10 : भारतवर्ष'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     25 March     कविता     No comments   


"*सुधन्वा*" (गीति नाट्य) -- डॉ. एस पॉल ।
(प्रस्तुत गीति-नाट्य में 12 पात्र 12 आयामों का प्रकटीकरण है, यथा:- कालचक्र, अश्वमेध-यज्ञ, अश्व, महाभारत, काल, चम्पकपुरी, राजा हंसध्वज, शंख-लिखित, अवतार, भारतवर्ष, कृष्णार्जुन और सुधन्वा । ध्यातव्य है, 'सुधन्वा' ऐतिहासिक नायक थे । )



भारतवर्ष
-----------
भारतवासी    वीर    बनो ,  ऋषियों   की   है यह  वाणी ,
नेक,  बहादुर,  धीर   बनो , तुम   पक्के    हिन्दुस्तानी   ।
सीता,  राधा,  सती,  सावित्री  की,   धरती  यह  न्यारी  ,
गंगा,  यमुना,  सरस्वती  -  सी , नदियाँ  पूज्या   प्यारी   ।
रामकृष्ण  -  सम   परमज्ञानी    का ,  देश    हमारा    है ,
विविध   धर्म    का   मर्म  -   एक   सिद्धांत  हमारा   है  ।
अपने    आदर्शों    पर   है  ,   कुर्बान    जहाँ    जवानी  ,
नेक,  बहादुर , धीर   बनो  ,  तुम    पक्के   हिन्दुस्तानी  ।
वेद, कुरआन, गुरुग्रंथ, बाइबिल का, अद्भुत संगम अपना,
मानव - मानव  एक  बने ,  बस -  यही   हमारा   सपना  ।
रावण , कंश , हिरण्यक   के, गौरव   को    ढहते   देखा  ,
आदर्शों  की    प्रतिमाएँ   आयी, पढ़ी   है  सबने   लेखा  ।
जन्मे  द्रोण,  बुद्ध,  गांधी  और   विदुर - से   सच्चे  ज्ञानी , 
नेक,  बहादुर,  धीर   बनो ,  तुम    पक्के    हिन्दुस्तानी   ।  


क्रमशः...
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